प्रकृति का पहला नियम
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं । ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेती है ।
प्रकृति का दूसरा नियम
जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है।
सुखी “सुख “बांटता है
दुःखी “दुःख ” बांटता है
ज्ञानी “ज्ञान” बांटता है
भ्रमित “भ्रम “बांटता है
भयभीत” भय “बांटता हैं
प्रकृति का तिसरा नियम
आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि
भोजन न पचने पर रोग बढते है।
पैसा न पचने पर दिखावा बढता है
बात न पचने पर चुगली बढती है ।
प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है।
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है ।
राज न पचने पर खतरा बढता है ।
दुःख न पचने पर निराशा बढती है ।
और सुख न पचने पर पाप बढता है ।
बात कडुवी बहुत है पर सत्य है
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काश! प्रकृति के इन तीन नियमों से हम कुछ भी सीख पाते तो हमारा जीवन सफल हो जाता ।
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Thanks.Yes,we need to learn from basics.
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Anm
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thanks
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Reblogged this on ये है हमारा झारखंड.
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