*असली 5 रत्न वोह हैं जो हमें हमारे मानव जीवन की वास्तविक मंजिल की तरफ ले जाते हैं*
*तुलसी या संसार में, पांच रत्न हैं सार।*
*साध संगत , सतगुरु शरण , दया , दीन , उपकार।।*
*पूज्य तुलसी साहिब जी कहते हैं यूँ तो इस संसार में बड़े (बहुत सारे, भरमार) रत्न हैं , परन्तु वो रत्न जो हमें हमारे मानव जीवन की मंजिल की तरफ ले जाते हैं 84 के चक्कर से बचा सकते है – वो केवल पांच ही हैं।*
*पहला रत्न* – किसी पूर्ण संत की संगत, अर्थात जो आपको तीनलोक से ऊपर का शब्द् भेद और जीवित मारना (मरने से पहले मरना) सीखा दे। *पहला रत्न जो मरने के बाद भी हमारे साथ जाता है , वो हमारा सतगुरु है।*
*दूसरा रत्न* – सतगुरु की शरण है। पल पल, स्वांस स्वांस पूर्ण गुरु के हुकम की पालना करना ही गुरु की शरण में रहना हैं।
*तीसरा रत्न* – सब पर दया करना है।
*चौथा रत्न* – हमारी दीनता , हमारी विनम्रता, हमारी गरीबी है
*पांचवा रत्न* – सब जीवो पर उपकार करना है।
*पूजय तुलसी साहिब कहते हैं ये पांच रत्न ऐसे हैं जो इस संसार में भी हमारा साथ देते हैं और उसके बाद भी हमारा साथ देते हैं। यदि हम किसी पूर्ण संत के चरणों में बैठकर (मतलब गुरु के हुकम के अनुसार सिमरण धन की कमाई करते हुए गुरु को खुश करके) इन रत्नों को हासिल कर लें तो हमारी जिंदगी का जो ध्येय है – अपने आप को जानना और प्रभु को पाना – वो पूरा हो जायेगा। हमारी ये जिंदगी संवर सकती है और अगली जिंदगी भी। फिर काल भी आपको सर झुकायेगा और आपका रास्ता नही रोकेगा।
Valuable ratans
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Thanks
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